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मौर्य साम्राज्य-1 (चन्द्रगुप्त मौर्य-1)




(1) मौर्य साम्राज्य का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य था
(2) यूनानी लेखक स्ट्रेबो,एरियन,जस्टिन इसे SENDROCOTS के नाम से पुकारते हैं प्लुकार्ट इसे ANDROCOTS के नाम से पुकारता हैं
(3) सर्वप्रथम सर विलियम जोंस ने 1793 में SENDROCOTS की पहचान चन्द्रगुप्त मौर्य के रूप में की ,जस्टिन ने चन्द्रगुप्त मौर्य को HUMBLE ORIGIN का बताया है
(4) बौद्ध ग्रंथो के अनुसार चन्द्रगुप्त का पिता "मोरिया नगर" का प्रमुख था
(5) चन्द्रगुप्त मौर्य का प्रारंभिक जीवन अंधकारपूर्ण है चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य को एक शिकारी के यहाँ से 1000 कार्षापण देकर ख़रीदा था जिस समय चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्या को शिकारी के यहाँ से ख़रीदा था उस वक़्त चन्द्रगुप्त मौर्य "राजकीलम" नामक खेल में व्यस्त था
(6) चाणक्य ने जिस कार्य के लिए चन्द्रगुप्त मौर्य को तैयार किया था उसके दो मुख्य उद्देश्य थे पहला
 1.यूनानियो के विदेशी शासन से देश को मुक्त कराना, और
 2. नन्दों के घृणित एवं अत्याचारपूर्ण शासन की समाप्ति करना
(7) चन्द्रगुप्त मौर्य ने सबसे पहले पंजाब तथा सिंध को ही विदेशियों की दासता से मुक्त किया था ,
(8) अर्थशास्त्र के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपनी सेना को पांच वर्गों में बाँटा था
1. चोर 2. म्लेच्छ 3. चोर गण 4. आटविक 5. शस्त्रोपजीवी अंग
(9) यूनानी लेखक "जस्टिन" चन्द्रगुप्त की सेना को "डाकुओ का गिरोह" कहता है
(10) चन्द्रगुप्त मौर्य ने 317 ईसा पूर्ब में पश्चिमी पंजाब के अंतिम यूनानी सेनानायक "युड़ेमस" को भारत छोडने के लिए बाध्य किया तथा सिंध एवं पंजाब पर विजय प्राप्त की यह चन्द्रगुप्त मौर्य की पहली सफलता थी
(11) मगध में इस समय घनानंद का शासन था , घनानंद ने एक बार चाणक्य को अपमानित किया था जिससे क्रुद्ध होकर चाणक्य ने घनानंद (नन्दों) का समूल नष्ट कर देने की प्रतिज्ञा की थी
(12) प्लूकार्ट के विवरण से पता चलता है कि नन्दों के विरुद्ध सहायता के उद्देश्य से चन्द्रगुप्त पंजाब में सिकंदर से मिला था डा राय चौधरी ने इस कार्य की तुलना मध्ययुगीन भारत के राजपूत शासक राणा संग्राम से की है, जिसने इब्राहीम लोदी का तख्ता पलटने के लिए मुग़ल सम्राट बाबर को आमंत्रित किया था
(13) चन्द्रगुप्त का मगध साम्राज्य पर आक्रमण कर के घनान्द को मार डालना दूसरी सफलता थी
(14) सिकंदर की मृत्यु 323 ईसा पूर्व में हो गई इसके बाद उसके सेनापति सेल्यूकस ने शासन संभला था सेल्यूकस ने 305 ईसा पूर्व के लगभग भारत पर आक्रमण किया था लेकिन वह
चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना द्वारा पराजित हुआ ,फलस्वरूप सेल्यूकस ने अपनी पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य से कर दिया, कदाचित यह भारतीय इतिहास का पहला अंतरास्ट्रीय विवाह था,
(15) सेल्यूकस ने मेगस्थानीज़ नामक नामक एक राजदूत चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा , मेगास्थनीज़ ने पुस्तक इंडिका लिखी ,
(16) सुराष्ट्र (गुजरात) में पुष्यगुप्त वैश्य ,चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्यपाल था ,जिसने वहा "सुदर्शन" नामक झील का निर्माण करवाया था
(17) चन्द्रगुप्त का शासन काल 322 .पू. से 298 .पू. तक बताया जाता है, अपने जीवन के अंतिम चरण में उसने जैन धर्म अपना लिया था, उसने भद्रबाहु की शिष्यता ग्रहण कर ली तथा सिंहासन त्याग कर भद्रबाहु के साथ श्रवणवेलगोला (मैसूर) में तपस्या करने चला गया ,इसी स्थान पर 298 .पू. मे चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु हो गई
(18) चाणक्य का दूसरा नाम विष्णुगुप्त भी था